चाह बरबाद करेगी हमें मालुम ना था - The Indic Lyrics Database

चाह बरबाद करेगी हमें मालुम ना था

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - के एल सहगल | संगीत - नौशाद | फ़िल्म - शाहजहां | वर्ष - 1946

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चाह बर्बाद करेगी हमें मालूम न था (२)
रोते रोते ही कटेगी हमें मालूम न था (२)मौत भी हम पे हँसेगी हमें मालूम न था
ज़िन्दगी रोग बनेगी हमें मालूम न था (२)
चाह बर्बाद करेगी हमें मालूम न थाछायी घनघोर घटा चाँद सितारे न रहे
वह उम्मीदें न रहीं अब वह सहारे न रहे
ग़ैर तो ग़ैर ही थे वह भी हमारे न रहे
हमपे ऐसी भी पड़ेगी हमें मालूम न था (२)
चाह बर्बाद करेगी हमें मालूम न था