जो भी कसमें खाए थे हमने क्या तुम्हें याद है - The Indic Lyrics Database

जो भी कसमें खाए थे हमने क्या तुम्हें याद है

गीतकार - समीर | गायक - अलका याज्ञनिक, उदित नारायण | संगीत - नदीम, श्रवण | फ़िल्म - राज़ | वर्ष - 2002

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जो भी कस्में खाईं थीं हम ने
वादा किया था जो मिल के
तूने ही जीवन में लाया था मेरे सवेरा
क्या तुम्हें याद हैदिन वो बड़े हसीन थे रातें भी खुशनसीब थीं
तूने ही जीवन में ...जागे जागे रहते थे खोए खोए रहते थे
करते थे प्यार की बातें
कभी तनहाई में कभी पुरवाई में
होती थीं रोज़ मुलाकातें
तेरी इन बाहों में तेरी पनाहों में
मैने हर लम्हा गुज़ारा
तेरे इस चेहरे को चाँद सुनहरे को
मैने तो जिगर में उतारा
कितने तेरे करीब था मैं तो तेरा नसीब था
होँठों पे रहता था हर वक़्त बस नाम तेरा
क्या तुम्हें याद है
हां मुझे याद हैदिन के उजालों में ख़्वाबों खयालों में
मैने तुझे पल पल देखा
मेरी ज़िंदगानी तू मेरी कहानी तू
तू है मेरे हाथों की रेखा
मैने तुझे चाहा तो अपना बनाया तो
तूने मुझे दिल में बसाया
प्यार के रंगों से बहकी उमंगों से
तूने मेरा सपना सजाया
तेरे लबों को चूम के बाहों में तेरी झूम के
मैने बसाया था आँखों में तेरी बसेरा
क्या तुम्हें याद है
हां मुझे याद है