कोई कहे कहता रहे कितना भी हमको दिवाना - The Indic Lyrics Database

कोई कहे कहता रहे कितना भी हमको दिवाना

गीतकार - जावेद अख्तर | गायक - शान, केके, शंकर महादेवन | संगीत - शंकर एहसान लॉय | फ़िल्म - दिल चाहता है | वर्ष - 2001

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कोई कहे कहता रहे कितना भी हमको दीवाना
हम लोगों की ठोकर में है ये ज़माना
जब साज़ है आवाज़ है फिर किसलिए हिचकिचाना
हो गाएँन्गे हम अपने दिलों का तराना
बिगड़े दुनिया बिगड़ने भी दो
झगड़े दुनिया झगड़ने भी दो
लड़े जो दुनिया लड़ने भी दो
तुम अपनी धुन में गाओ
दुनिया रूठे रूठने दो
बंधन टूटे टूटने दो
कोई छूटे छूटने दो
ना घबराओ
हम हैं नए अंदाज़ क्यूँ हो पुरानाआँखों में हैं बिजलियाँ साँसों में तूफ़ान हैं
डर क्या है और हार क्या हम इस से अंजान हैं
हमारे लिए ही तो हैं आसमान और ज़मीं
सितारे भी हम तोड़ लेंगे हमें है यकीं
अम्बर से है आगे हमारा ठिकाना
हम हैं नए अंदाज़ क्यूँ हो पुरानासपनों का जो देस है हाँ हम वहीं हैं पले
थोड़े से दिलफेंक हैं थोड़े से हैं मनचले
जहाँ भी गए अपना जादू दिखाते रहे
मोहब्बत हसीनों को अक्सर सिखाते रहे
आए हमें दिल और नींदें चुराना
हम हैं नए अंदाज़ क्यूँ हो पुरानाकोई कहे कहता रहे कितना भी हमको दीवाना
कोई कहता रहे कितना भी हमको दीवाना
हो हम लोगों की ठोकर में है ये ज़माना
हो जब साज़ है आवाज़ है फिर किसलिए हिचकिचाना
हूँ जब साज़ है आवाज़ है फिर किसलिए हिचकिचाना
हो गाएँन्गे हम ...ओ हम हैं नए अंदाज़ क्यूँ हो पुराना
हाँ हम हैं नए अंदाज़ क्यूँ हो पुराना