ना हंसाना जब दर्द नहीं था सीन में - The Indic Lyrics Database

ना हंसाना जब दर्द नहीं था सीन में

गीतकार - आनंद बख्शी | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - लक्ष्मीकांत, प्यारेलाल | फ़िल्म - मैं तुलसी तेरे आंगन की | वर्ष - 1978

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न हंसना मेरे ग़म पे इन्साफ करना
जो मैं रो पड़ूं तो मुझे माफ़ करना

जब दर्द नहीं था सीने में
तब खाक़ मज़ा था जीने में
जब दर्द नहीं था सीने में
तब खाक़ मज़ा था जीने में
अब के शायद हम भी रोयें
सावन के महीने में
जब दर्द नहीं था सीने में
तब खाक़ मज़ा था जीने में
अब के शायद हम भी रोयें
सावन के महीने में
जब दर्द नहीं था सीने में
तब खाक़ मज़ा था जीने में

यारों का ग़म क्या होता है
यारों का ग़म क्या होता है
यारों का ग़म क्या होता है
मालूम न था अनजानों को
साहिल पे खड़े होकर हमने
देखा अक्सर तूफानों को

अब के शायद हम भी डूबे
मौजों के सफ़ीने में
जब दर्द नहीं था सीने में
तब खाक़ मज़ा था जीने में

ऐसे तो ठेस न लगती थी
जब अपने रूठा करते थे
इतना तो दर्द न होता था
जब सपने टूटा करते थे
अब के शायद दिल भी टूटे
अब के शायद हम भी रोयें
सावन के महीने में
जब दर्द नहीं था सीने में
तब खाक़ मज़ा था जीने में

इस क़दर प्यार तो कोई करता नहीं
मरने वालों के साथ कोई मरता नहीं
आप के सामने मैं न फिर आऊंगा
गीत ही जब न होंगे तो क्या गाऊँगा
मेरी आवाज़ प्यारी है तो दोस्तों
यार बच जाए मेरा दुआ सब करो
दुआ सब करो.