मेरी सुबहों को तेरी शामों का ... - The Indic Lyrics Database

मेरी सुबहों को तेरी शामों का ...

गीतकार - आनंद बख्शी | गायक - रूप कुमार राठौड़, जयश्री शिवराम | संगीत - संजीव दर्शन | फ़िल्म - कितने दरवाजे कितने पास | वर्ष - 2002

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इंतज़ार इंतज़ार इंतज़ार इंतज़ार
इंतज़ार इंतज़ार इंतज़ार इंतज़ार

मेरी सुबहों को तेरी शामों का
मेरी शामों को तेरे वादों का
मेरी रातों को तेरे ख़्वाबों का
मेरी नींदों को तेरी बाहों का
मेरे जज़बों को तेरी चाहों का
बहकी-बहकी सी कुछ खताओं का
खूबसूरत से कुछ गुनाहों का
इंतज़ार इंतज़ार इंतज़ार इंतज़ार

अपने दिलबर का अपने हमदम का
अपने जानम का इंतज़ार
सुर्ख फूलों से महकारस्ता है
दिल तो मेरा मगर ज़र्द पत्ता है
पास आँखों के सब समंदर है
दिल का मौसम तो फिर भी बंजर है
महकी-महकी सी कुछ हवाओं का
भीगी-भीगी सी कुछ घटाओं का
इंतज़ार इंतज़ार इंतज़ार इंतज़ार

अपने बादल का अपनी बारिश का
अपने सावन का इंतज़ार
अपनी धड़कन का अपनी साँसों का
अपने जीने का इंतज़ार

कोई बदली कभी इस तरह आयेगी
प्यास सदियों की पल में बुझ जायेगी
तुझको लौटा के मेरी आगोश में
देखना वक़्त की नब्ज़ थम जायेगी
ऐसा होने के कुछ दुआओं का
उम्र भर जो मिलें उन पनाहों का
इंतज़ार इंतज़ार इंतज़ार इंतज़ार

तेरे आने का तुझको पाने का
फिर ना जाने का इंतज़ार
इंतज़ार इंतज़ार इंतज़ार इंतज़ार