छोड़ आए हम वो गलियाँ - The Indic Lyrics Database

छोड़ आए हम वो गलियाँ

गीतकार - गुलजार | गायक - हरिहरन - सुरेश वाडकर - विनोद सहगल - केके | संगीत - विशाल भारद्वाज | फ़िल्म - माचिस | वर्ष - 1996

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छोड़ आए हम वो गलियाँ
जहाँ तेरे पैरों के कँवल गिरा करते थे
हँसे तो दो गालों में भँवर पड़ा करते थे
तेरे कमर के बल पे नदी मुड़ा करती थी
हँसी तेरी सुन सुन के फसल पका करती थी
जहाँ तेरी एडी से धूप उड़ा करती थी
सुना है उस चौखट पे अब शाम रहा करती है
लटों से उलझी लिपटी एक रात हुआ करती थी
कभी कभी तकिये पे वो भी मिला करती है
दिल दर्द का टुकड़ा है, पत्थर की डली सी है
एक अँधा कुआँ है या एक बंद गली सी है
एक छोटा सा लम्हा है जो ख़त्म नहीं होता
मैं लाख जलाता हूँ ये भस्म नहीं होता