सैयाँ जब से लड़ी हैं - The Indic Lyrics Database

सैयाँ जब से लड़ी हैं

गीतकार - साहिर | गायक - आशा: | संगीत - ओपी नैय्यर | फ़िल्म - सोने की चिड़िया | वर्ष - 1958

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सैयाँ जब से लड़ी हैं तोसे अँखियाँ
हाय निंदिया न आये सारी रात
निंदिया न आये सारी रात
निंदिया न आये सारी रात
ग़ैर है तू पर अपना लागे
ग़ैर है तू पर अपना लागे
प्यार प्रीत का सपना लागे
ओ मतवाले दिल तेरे हवाले
हो
जब से लड़ी हैं तोसे अँखियाँ
हाय निंदिया न आये सारी रात
निंदिया न आये सारी रात
निंदिया न आये सारी रात
साँस में ख़ुश्बू घुलती जाये
साँस में ख़ुश्बू घुलती जाये
ज़ुल्फ़ मचल कर खुलती जाये
रंग नया है हर ढंग नया है
हो
जब से लड़ी हैं तोसे अँखियाँ
हाय निंदिया न आये सारी रात
निंदिया न आये सारी रात
निंदिया न आये सारी रात
आज मैं अपने बस में नहीं हूँ
आज मैं अपने बस में नहीं हूँ
पाँव कहीं है और मैं कहीं हूँ
मन लहराये तन पिघला जाये
हो
जब से लड़ी हैं तोसे अँखियाँ
हाय निंदिया न आये सारी रात
निंदिया न आये सारी रात
निंदिया न आये सारी रात$