रंजिश ही साही दिल हि दुखाने के लिए आ मेहदी हसन - The Indic Lyrics Database

रंजिश ही साही दिल हि दुखाने के लिए आ मेहदी हसन

गीतकार - अहमद फ़राज़-तालिब बागपति | गायक - मेहदी हसन | संगीत - निसार बज्मी | फ़िल्म - मेहदी हसन की बेहतरीन ग़ज़लें (गैर फ़िल्म) | वर्ष - 1985

View in Roman

रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिये आ
आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिये आपहले से मरासिम ना सही फिर भी कभी तो
रस्म-ओ-रह-ए-दुनिया ही निभाने के लिये आमाना के मुहब्बत का छुपाना है मुहब्बत
चुपके से किसी रोज़ जताने के लिये आकुछ तो मेरे पिंदार-ए-मुहब्बत का भरम रख
तू भी तो कभी मुझको मनाने के लिये आजैसे तुझे आते हैं, न आने के बहाने
ऐसे ही किसी रोज़ न जाने के लिये आअब तक दिल-ए-ख़ुशफ़हम को हैं तुझ से उम्मीदें
ये आख़िरी शम्में भी बुझाने के लिये आइक उम्र से हूँ लज़्ज़त-ए-गिरिया से भी महरूम
ऐ राहत-ए-जाँ मुझको रुलाने के लिये आ