आई आई घड़ी ये सुहानी - The Indic Lyrics Database

आई आई घड़ी ये सुहानी

गीतकार - शम्स लखनवी? | गायक - नूरजहां | संगीत - | फ़िल्म - दिल | वर्ष - 1946

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हाँ

आई अजल ऐ ज़िन्दगी

हाँ

आई अजल ऐ ज़िन्दगी

ग़म का ज़माना टल गया

अब क्या गिरेंगी बिजलियाँ

जब आशियाँ ही जल गया

आ ओ शबएग़म आये जा

सारे जहाँ पर छाये जा

अब तू ही तू रह जायेगी

अब कल न हरगिज़ आयेगी

वो दिन जो दुश्मन था तेरा

वो ज़िन्दगी का दिन मेरा

वो दिन हमेशा के लिये

हाँ दिन वही दिन भर गया

ग़म का ज़माना टल गया

इस उम्र का अव्वलपना

इस उम्र का आख़िरपना

एक झूठ का दरबार है

बातिलपना ज़ाहिलपना

ये ज़िन्दगी कुछ भी नहीं

नाटक का झूठा खेल है

जब तक चला सो चल गया

ग़म का ज़माना टल गया

हाँ

आई अजल ऐ ज़िन्दगी

ग़म का ज़माना टल गया

अब क्या गिरेंगी बिजलियाँ

जब आशियाँ ही जल गया