ज़ुल्मी संग आँख लड़ी - The Indic Lyrics Database

ज़ुल्मी संग आँख लड़ी

गीतकार - साहिर लुधियानवी | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - रवि | फ़िल्म - आदमी और इंसान | वर्ष - 1969

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ज़ुल्मी संग आँख लड़ी, ज़ुल्मी संग आँख लड़ी रे
सखी मैं का से कहूँ, री सखी का से कहूँ
जाने कैसी ये गाँठ पड़ी, ज़ुल्मी संग आँख लड़ी रे
वो छुप-छुपके बन्सरी बजाये
सुनाये मोहे मस्ती में डूबा हुआ राग रे
मोहे तारों की छाँव में बुलाये
चुराये मेरी निंदिया मैं रह जाऊँ जाग रे
लगे दिन छोटा रात बड़ी
ज़ुल्मी संग आँख लड़ी रे
बातों बातों में रोग बढ़ा जाये
हमारा जिया तडपे किसीके लिए शाम से
मेरा पागलपना तो कोई देखो
पुकारूँ मैं चंदा को साजन के नाम से
फिरी मन पे जादू की छड़ी
ज़ुल्मी संग आँख लड़ी रे