ज़ुल्फ़ों की घटा लेकर सावन की परी आई - The Indic Lyrics Database

ज़ुल्फ़ों की घटा लेकर सावन की परी आई

गीतकार - राजा मेहदी अली खान | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - बाबुल | फ़िल्म - सावन की घटा | वर्ष - 1966

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ज़ुल्फ़ों की घटा लेकर सावन की परी आई
बरसेगी तेरे दिलपर हँस हँस के जो लहराई
मचले हुए इस दिल में अरमान हज़ारों हैं
बेताब निगाहों में तूफ़ान हज़ारों हैं
तुझसे ना बिछड़ने की इस दिलने कसम खाई
आती हो तो आँखों में बिजली सी चमकती है
शायद ये मोहब्ब्त है, आँखों से छलकती है
छोडूं ना तेरा दामन, मैं हूँ तेरा सौदाई
सुर्खी है मोहब्बत की इन फूल से गालों में
क्या चीज़ मैं लाई हूँ इन आँखों में प्याले में
आ तुझको बता दूँ मैं ओ हुस्न के शैदाई