ज़िन्दगी से बड़ी सज़ा ही नहीं - The Indic Lyrics Database

ज़िन्दगी से बड़ी सज़ा ही नहीं

गीतकार - हसरत जयपुरी | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - Nil | फ़िल्म - कहीं और चल | वर्ष - 1968

View in Roman

ज़िन्दगी से बड़ी सज़ा ही नहीं
और क्या जुर्म है पता ही नहीं
इतने हिस्सों में बट गया हूँ मैं
मेरे हिस्सा में कुछ बचा ही नहीं
सचे घटे या बढ़े तो सच ना रहे
झूठ ही कोई इन्तेहा ही नहीं
जड़ दो चांदी में चाहे सोने में
आईना झूठ बोलता ही नहीं