मिलो न तुम तो हम घबराएं, मिलो तो आँख चुराएं - The Indic Lyrics Database

मिलो न तुम तो हम घबराएं, मिलो तो आँख चुराएं

गीतकार - कैफ़ी आज़मी | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - मदन मोहन | फ़िल्म - हीर रांझा | वर्ष - 1970

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मिलो न तुम तो हम घबराएं, मिलो तो आँख चुराएं
हमें क्या हो गया है?
तुम्हीं को दिल का राज़ बताएं, तुम्हीं से राज़ छुपाएं
हमें क्या हो गया है?
ओ भोले साथिया, देखी जो शोख़ी तेरे प्यार की
आँचल में भर ली हमने सारी बहारें संसार की
नई अदा से हम इतराएं, पाई खुशी लुटाएं
हमें क्या हो गया है?
रूठे कभी, कभी मान गए
घातें तुम्हारी हम जान गए
ऐसी अदाएं, कुरबान गए
रूठे कभी, कभी मान गए
तुम्हें मनाएं, दिल बहलाएं
क्या क्या नाज़ उठाएं
हमें क्या हो गया है?
ओ सोहने जोगिया, रंग ले हमे भी इसी रंग में
फिर से सुना दे बन्सी, कलियाँ खिला दे गोरे अंग में
वही जो तानें आग लगाएं, उन्हीं से आग बुझाएं
हमें क्या हो गया है?