क्यूँ अंखियाँ भर आई - The Indic Lyrics Database

क्यूँ अंखियाँ भर आई

गीतकार - भरत व्यास | गायक - लता | संगीत - मन्ना डे | फ़िल्म - तमाशा | वर्ष - 1952

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क्यूँ अंखियाँ भर आई
फिर कोई याद आया
क्यूँ अंखियाँ भर आई
( भूल सके न हम तुम्हें
और तुम तो जाके भूल गये )
रो रो के कहता है दिल
क्यूँ दिल को लगा के भूल गये
भूल सके न हम तुम्हें
बेवफ़ा ये क्या किया
दिल के बदले ग़म दिया
मुस्कुराई थी घडी भर
रात दिन अब रोऊं पिया
एक पलक चंदा मेरे
यूं झलक दिखा के भूल गये
भूल सके न हम तुम्हें
कौनसी थी बैरन घडी वो
जबके तुझसे उलझे नयन
सुख के मीठे झूले में रुमझुम
झूम उठा था पावन सा मन
दिन सुनहरे रातें रुपहली
तुम मिले मैं हुई मगन
आँख खुली तो मैने देखा
देखा था एक झूटा सपन
सपनों के संसार में
मेरा मन भरमाके भूल गये
भूल सके न हम तुम्हें
और तुम तो जाके भूल गये
भूल सके न हम तुम्हें