सहारा कोई मिल जाता - The Indic Lyrics Database

सहारा कोई मिल जाता

गीतकार - नक्षबी | गायक - तलत | संगीत - शिवराम | फ़िल्म - रफ़्तार | वर्ष - 1955

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सहारा कोई मिल जाता तो हम कब के सँभल जाते
के जिस साँचे में दिल कहता उसी साँचे में ढल जाते
बराबर दोनों जानिब आग लगती है मुहब्बत में
इधर से भी उधर पहले सुलगती है मुहब्बत में
न जलती शम्म महफ़िल में तो क्या परवाने जल जाते
सहारा कोई मिल जाता
के जिस साँचे
सहारा कोई मिल जाता
किसी से आँखों आँखों में कोई इक़रार हो जाता
मुहब्बत का अगर भरपूर दिल पर वार हो जाता
तो दिल के साथ शायद दिल के अरमाँ भी निकल जाते
सहारा कोई मिल जाता
के जिस साँचे
सहारा कोई मिल जाता$