ई चाँद मेरे दिल के आंखों के तारे - The Indic Lyrics Database

ई चाँद मेरे दिल के आंखों के तारे

गीतकार - महबूब | गायक - कविता कृष्णमूर्ति, सहगान | संगीत - इस्माइल दरबार | फ़िल्म - शक्ति द पावर | वर्ष - 2002

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ए चाँद मेरे दिल के आँखों के तारे
तू क्यूँ है मद्धम मद्धम मद्धम
निंदिया के बदले आँखों में आँसू
तुझ को सताए कैसा ग़म
ए चाँद मेरे ...सूना तेरा मुकद्दर है
जा आसमां पे तेरा घर है
तन्हई तेरी हमसफ़र है
बस आखरी ये तेरा सफ़र है
ग़म से भरी मिट्टी से दूर
आहोँ भरी हवाओँ से दूर
नफ़रत भरे सागर से दूर
जो दिल को जला दे उस अग्नि से दूर
कहने को दूर है पर लगता है
हरपल तू हैं यहीं हमदम
यादों में तेरी जी लेंगे बस हम
और खुशियों में होगा तेरा ग़म
ज़ुल्मोँ सितम का है जहाँ
है क़ैद में उस की मेरी जाँ
क्यूँ बेखबर है तू ऐ ख़ुदा
तुझ को मुबारक तेरा आसमां
बेबस हूँ मैं कमज़ोर नहीं
कोई नहीं तन्हा सही तन्हा सही
हिम्मत हो तो मुश्किल नहीं
है हौसला अगर तो मंज़िल दूर नहीं
उम्मीद के सहारे कोई क्यूँ हारे
चलरे चले थम थम
थम थम थम थम हरदम
खुद पे यकीं है तो क्या कमी है
दो दिन का मेहमां है ये ग़म