कहना ही क्या, ये नैन एक अनजान से जब मिले - The Indic Lyrics Database

कहना ही क्या, ये नैन एक अनजान से जब मिले

गीतकार - महबूब | गायक - चित्रा - ए. आर. रहमान | संगीत - ए. आर. रहमान | फ़िल्म - बॉम्बे | वर्ष - 1995

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गुमसुम गुमसुम गुपचुप
गुमसुम गुप चुप
हलचल हलचल हो गई तेरी
होंठ हैं तेरे चुप
खलबल खलबल हो गई तेरी
बैठी है तू चुप
प्यारे प्यारे चेहरे ने करते ही इशारा
देखा तेरी आँखों ने है सपना कोई प्यारा
हमसे गोरी ना तू शरमा, आ कह दे हमसे ज़रा
कहना ही क्या, ये नैन एक अन्जान से जो मिले
चलने लगे मोहब्बत के जैसे ये सिलसिले
अरमां नये ऐसे दिल में खिले, जीन को कभी मैं ना जानूं
वो हमसे, हम उनसे कभी ना मिले, कैसे मिले दिल ना जानूं
अब क्या करें, क्या नाम लें, कैसे उन्हे मैं पुकारूं
पहली ही नज़र में कुछ हम कुछ तुम हो जाते हैं यूँ गुम
नैनों से बरसे रिमझिम रिमझिम हमपे प्यार का सावन
शर्म थोड़ी थोड़ी हमको आए तो नज़रें झुक जाएं
सितम थोडा थोडा हमपे शोख हवा भी कर जाए
ऐसी चले आँचल उड़े, दिल में एक तूफ़ान उठे
हम तो लूट गये खड़े ही खड़े
इन होठों ने माँगा सरगम सरगम तू और तेरा ही प्यार है
आँखें ढूँढे है जिसको हरदम हरदम तू और तेरा ही प्यार है
महफ़िल में भी तनहा है दिल ऐसे, दिल ऐसे
तुझको खो ना दे डरता है ये ऐसे, ये ऐसे
आज मिली ऐसी खुशी, झूम उठी दुनिया ये मेरी
तुमको पाया तो पाई ज़िन्दगी