वो परी कहां से लौउन - The Indic Lyrics Database

वो परी कहां से लौउन

गीतकार - वर्मा मलिक | गायक - मुकेश, सुमन कल्याणपुर, शारदा | संगीत - शंकर, जयकिशन | फ़िल्म - पहचान | वर्ष - 1970

View in Roman

वो परी कहाँ से लाऊँ तेरी दुल्हन जिसे बनाऊँ
कि गोरी कोई पसन्द न आये तुझको
कि छोरी कोई पसन्द न आये तुझकोये तो मेरी है सहेली, दिलवाली अलबेली
जैसे मोतिया चमेली, जैसे प्यार की हवेली
सोलह साल की उमर, कोका-कोला सी कमर
रत्ती भर भी क़सर कहीं आये न नज़र
कुछ हुआ है असर?
गोल जूड़े में ये वेनी, और वेनी में ये टहनी
कैसे जूड़ियों से पेड़ उगाये
ये गंगाराम के समझ में न आये
वो परी कहाँ से लाऊँ ...आँख जिसकी है बिल्ली नाम उसका है लिल्ली
ऐसे कजरे की धार, जैसे तीखी तलवार
देख होंठों का ये रंग चलने का ढंग
कटे अंग्रेज़ी बाल, बाँधा रेशम का रुमाल
बोलो क्या है खयाल?
इसे जब लिया तक़ मेरा दिल हुआ फ़क़
छोरी हो के हजामत कराये
ये गंगाराम के समझ में न आये
वो परी कहाँ से लाऊँ ...