उडते हैं मेरे गम की हांसी बेकास की आबारू - The Indic Lyrics Database

उडते हैं मेरे गम की हांसी बेकास की आबारू

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - हेमंत कुमार | फ़िल्म - एक ही रास्ता | वर्ष - 1956

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उड़ाते हैं मेरे ग़म की हँसी तेरे जहाँ वाले
तमाशा देख ले तू भी तमाशा देखने वालेबेक़स की आबरू को नीलाम कर के छोड़ा
आख़िर तेरे जहाँ ने बदनाम कर के छोड़ाहम आँसुओं को पीकर बैठे थे मुस्कराने
देखा गया न तुझसे इतना भी ओ ज़माने
छोटी सी आरज़ू को नाकाम कर के छोड़ा
बेक़स की आबरू को ...पहले तो ग़म दिया फिर ग़म की हँसी उड़ाई
ज़ालिम है तेरी दुनिया मालिक तेरी दुहाई
तेरे जहाँ ने तेरा भी नाम कर के छोड़ा
बेक़स की आबरू को ...