बरसों के बाद उठी आज होली हैं - The Indic Lyrics Database

बरसों के बाद उठी आज होली हैं

गीतकार - आनंद बख्शी | गायक - कविता कृष्णमूर्ति, सहगान, अनुराधा पौडवाल, नितिन मुकेश | संगीत - लक्ष्मीकांत, प्यारेलाल | फ़िल्म - देशवासी | वर्ष - 1989

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बरसों के बाद उठी मन में तरंग
रंग खेलो रंग इक दूजे के संग
ओ अ.म्बुआ पे कोयल बोली है आज होली है
रंग खेलो रंग ...ओ भीगी गोरी की चुनरी चोली है आज होली है
रंग खेलो रंग ...घूंघट खोलो मुंह मत मोड़ो ओ मोड़ो आज के दिन ये ओ दिन ये दिल मत तोड़ो
बाबा मेरा पीछा छोड़ो मेरे पीछे तुम मत दौड़ो
तुमने जो भर कर मारी ये कैसी है पिचकारी
ये तो बन्दूक की गोली है आज होली है
रंग खेलो रंग ...पनघट पर बैठी सब सखियां करती थीं आपस में बतियां
राधा की क्यों भीगें अंखियां जागे सारी की सारी रतियां
घनश्याम से प्रीति लगाई घनश्याम तो है हरजाई
ये राधा कितनी भोली है आज होली है
रंग खेलो रंग ...नीला पीला रंग ये छाये बीते दिनों की याद दिलाये
कोई नज़र के सामने आए सामने आ के फिर छुप जाए
पल पल रंग बदलता जाए
नैनों से बरसे ये सावन काहे ये जीवन
दुख सुख की आँख मिचौली है आज होली है
रंग खेलो रंग ...