अब अगर हमसे कुदाई भी खफा हो जाए - The Indic Lyrics Database

अब अगर हमसे कुदाई भी खफा हो जाए

गीतकार - साहिर लुधियानवी | गायक - मोहम्मद रफ़ी, लता मंगेशकर | संगीत - मदन मोहन | फ़िल्म - लैला मजनू | वर्ष - 1976

View in Roman

र : अब अगर हमसे ख़ुदाई भी खफ़ा हो जाए
गैर-मुमकिन है कि दिल दिल से जुदा हो जाए -२
ल : जिस्म मिट जाए कि अब जान फ़ना हो जाए
गैर-मुमकिन है ...जिस घड़ी मुझको पुकारेंगी तुम्हारी बाँहें
रोक पाएँगी न सहरा की सुलगती राहें
चाहे हर साँस झुलसने की सज़ा हो जाए -२
गैर-मुमकिन है ...र : लाख ज़ंजीरों में जकड़ें ये ज़माने वाले -२
तोड़ कर बन्द निकल आएँगे आने वाले -२
शर्त इतनी है कि तू जलवा-नुमाँ हो जाए
गैर-मुमकिन है ...ल : ज़लज़ले आएँ गरज़दार घटाएँ घेरें
खंदकें राह में हों तेज़ हवाएँ घेरें
दो : चाहे दुनिया में क़यामत ही बपा हो जाए
गैर-मुमकिन है ...