तेरी दुनिया में हर नेकी का बदला क्यों बुराई है - The Indic Lyrics Database

तेरी दुनिया में हर नेकी का बदला क्यों बुराई है

गीतकार - राजा मेहदी अली खान | गायक - तलत महमूद | संगीत - सरदार मलिक | फ़िल्म - औलाद | वर्ष - 1955

View in Roman

तेरी दुनिया में हर नेकी का बदला क्यों बुराई है
अरे ओ आसमाँ वाले ये क्या दुनिया बनाई है

दुनिया तसवीर है रोते हुए इनसानों की
एक बस्ती है ये उजड़े हुए अरमानों की

तेरे बन्दों को यहाँ ठोकरें खाते देखा
राह में तेरी इन्हें जान से जाते देखा
ख़ाक हर सिम्त यहाँ उड़ती है परवानों की

आ ज़मीं पर तेरी दुनिया मैं दिखाऊँ तुझको
तेरी तसवीर दिखाकर मैं रुलाऊँ तुझको
देख इनसानों पे बेदाद ये इनसानों की$