सदाकों उतररिए के ना लागे कहीं नज़ारी - The Indic Lyrics Database

सदाकों उतररिए के ना लागे कहीं नज़ारी

गीतकार - शकील बदायुँनी | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - नौशाद | फ़िल्म - पालकी | वर्ष - 1967

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सदकों उतारिये के ना लागे कहीं नज़र
सेहरे में आज फूल सा मुखड़ा है जलवागरचेहरे से अपने आज तो परदा उठाइये-(२)
लिल्लाह मुझको चाँद सी सूरत दिखाइयेआंचल में मुँह छुपाके ना शरमाइये हुज़ूर
कुछ दिल कि बात कीजिये कुछ मुस्कुराइये
चेहरे ...इतने करीब आके भी दिल को सुकून नहीं
जी चाहता है और भी नज़दीक आइये
चेहरे ...आई है ज़िन्दगी में ये बेखुदी की रात
सब कुछ मोहब्बतों के सिवा भूल जाइये
चेहरे ...चेहरे से अपने आज तो परदा उठाइये
लिल्लाह मुझको चाँद सी सूरत दिखाइये