गीतकार - शेवन रिज़वी | गायक - तलत महमूद | संगीत - हफीज खान मस्ताना | फ़िल्म - लकीरें | वर्ष - 1954
View in Romanदुनिया से जा रहा हूँ दुनिया के ग़म उठा के
काटी है ज़िंदगानी आँसू बहा बहा के
टकराया आँधियों से ताक़त रही जहाँ तक
रखता तुझे छुपाके ऐ आरज़ू कहाँ तक
रख दी है शम्मा पूरी अब सामने हवा के
दुनिया बहुत बुरी है दुनिया में बसनेवालो
मेरी तरह न रोना कुछ देर हँसनेवालो
रोया हूँ ज़िंदगी भर इक बार मुस्कुरा के
छाया हुआ है हर सू मेरे लिए अँधेरा
है दर्द-ओ-ग़म ने मुझको चारों तरफ़ से घेरा
यूँ दिन गुज़र रहे हैं ख़ुशियाँ सभी लुटा के$