ज़िन्दगी मेरे घर आना, आना ज़िन्दगी - The Indic Lyrics Database

ज़िन्दगी मेरे घर आना, आना ज़िन्दगी

गीतकार - सुदर्शन फ़ाकिर | गायक - अनुराधा पौडवाल - भूपेंद्र | संगीत - जयदेव | फ़िल्म - Nil | वर्ष - Nil

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ज़िन्दगी, ज़िन्दगी, मेरे घर आना, आना ज़िन्दगी
ज़िन्दगी ओ ज़िन्दगी मेरे घर आना, आना ज़िन्दगी
मेरे घर का सीधा सा इतना पता है
ये घर जो है चारों तरफ से खुला है
ना दस्तक ज़रूरी ना आवाज़ देना
मेरे घर का दरवाजा कोई नहीं है
हैं दीवारें गुम और छत भी नहीं है
बड़ी धूप है दोस्त, कड़ी धूप है दोस्त
तेरे आँचल का साया चुराके जीना है जीना, जीना ज़िन्दगी
मेरे घर का सीधा सा इतना पता है
मेरे घर के आगे मोहब्बत लिखा है
ना दस्तक ज़रूरी ना आवाज़ देना
मैं साँसों की रफ़्तार से जान लूँगी
हवाओं की खुश्बू से पहचान लूँगी
तेरा फूल हूँ दोस्त, तेरी धूल हूँ दोस्त
तेरे हाथों में चेहरा छुपा के जीना है जीना, जीना ज़िन्दगी
मगर अब जो आना तो धीरे से आना
यहाँ एक शहजादी सोयी हुई है
ये परियों के सपनों में खोयी हुई है
बड़ी खूब है ये, तेरा रूप है ये
तेरे आँगन में, तेरे दामन में
तेरी आँखों पे, तेरी पलकों पे
तेरे क़दमों में इसको बिठाके जीना है जीना, जीना ज़िन्दगी
(ज़िन्दगी, ज़िन्दगी, मेरे घर ना आना, आना ज़िन्दगी
के बदला हुआ मेरे घर का पता है
निशां था जो मंज़िल का अब रास्ता है
ये रस्ते किसी का ना आँगन बनेंगे
ये चलते रहे हैं, ये चलते रहेंगे
टूटे शीशों के दर्पन बनाके जीना है जीना, जीना ज़िन्दगी )