ज़िंदगी मौत ना बन जाए, संभालो यारों - The Indic Lyrics Database

ज़िंदगी मौत ना बन जाए, संभालो यारों

गीतकार - इसरार अन्सारी | गायक - सोनू निगम - रूपकुमार राठोड़ | संगीत - जयदेव | फ़िल्म - दूरियाँ | वर्ष - 1979

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ज़र्रे जर्रे में छुपा है हौसलेवालों का जोश
पैदा होते है इसी मिट्टी से ही सरफ़रोश
ज़िंदगी मौत ना बन जाए, संभालो यारों
खो रहा चैन-ओ-अमन, मुश्किलों में है वतन
सरफरोशी की शमा दिल में जला लो यारों
एक तरफ प्यार है, चाहत है, वफ़ादारी है
एक तरफ देश में धोका है, गद्दारी है
बस्तिया सहमी हुई, सहमा चमन सारा है
ग़म में क्यूँ डूबा हुआ आज सब नज़ारा है
आग पानी की जगा अभ्र जो बरसाएँगे
लहलाते हुए सब खेत झुलस जाएँगे जाएँगे जाएँगे
खो रहा चैन-ओ-अमन, मुश्किलों में है वतन
सरफरोशी की शमा दिल में जला लो यारों
चन्द सिक्कों के लिए तुम ना करो काम बुरा
हर बुराई का सदा होता है अंजाम बुरा
जुर्म वालों की कहाँ उम्र बड़ी है यारों
इनकी राहों में सदा मौत खड़ी है यारों
ज़ुल्म करने से सदा ज़ुल्म ही हासिल होगा
जो ना सच बात कहे वो कोई बुज़दिल होगा
सरफरोशों ने लहूं देके जिससे सींचा है
ऐसे गुलशन को उजड़ने से बचा लो यारों