दुनिया ना भाये मोहे अब तो बुला ले - The Indic Lyrics Database

दुनिया ना भाये मोहे अब तो बुला ले

गीतकार - शैलेंद्र | गायक - रफी | संगीत - शंकर-जयकिशन | फ़िल्म - बसंत बहार | वर्ष - 1956

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आ ऽ ऽ

दुनिया ना भाये मोहे अब तो बुला ले
चरनों में, चरनों में तेरे,
चरनों में, चरनों में

मेरे गीत मेरे संग सहारे
कोई न मेरा संसार में
दिल के ये टुकड़े कैसे बेच दूँ
दुनिया के बाज़ार में
मन के ये मोती रखियो तू सम्भाले
चरनों में, चरनों में तेरे,
चरनों में, चरनों में

सात सुरों के सातों सागर
मन की उमंगों से जागे
तू ही बता मैं कैसे गाऊँ
बहरी दुनिया के आगे
तेरी ये बीना अब तेरे हवाले
चरनों में, चरनों में तेरे,
चरनों में, चरनों में

मैंने तुझे कोई सुख ना दिया
तूने दया लुटाई दोनों हाथों से
तेरे प्यार की याद जो आये
दर्द छलक जाए आँखों से
जीना नहीं आया मोहे अब तो छुपा ले
चरनों में, चरनों में तेरे,
चरनों में, चरनों में

दुनिया ना भाये मोहे अब तो बुला ले
चरनों में, चरनों में तेरे,
चरनों में, चरनों में


मेरे गीत मेरे संग-सहारे कोई न मेरा संसार में
दिल के ये टुकड़े कैसे बेच दूँ दुनिया के बाज़ार में
मन के ये मोती रखियो तू सम्भाले$