ज़िन्दगी ख्वाब है - The Indic Lyrics Database

ज़िन्दगी ख्वाब है

गीतकार - संतोष आनंद | गायक - मुकेश | संगीत - सलील चौधरी | फ़िल्म - क्रांति | वर्ष - 1981

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रंगी को नारंगी कहे, बने दूध को खोया
चलती को गाडी कहे, देख कबीरा रोया 
ज़िन्दगी ख्वाब है
ख्वाब में झूठ क्या और भला सच है क्या
सब सच है
दिल ने हम से जो कहा, हम ने वैसा ही किया
फिर कभी फुरसत से सोचेंगे, बुरा था या भला
एक कतरा मय का जब पत्थर के होठों पर पड़ा
उस के सीने में भी दिल धड़का, ये उस ने भी कहा
एक प्याली भर के मैंने गम के मारे दिल को दी 
जहर ने मारा जहर तो मुर्दे में फिर जान आ गयी