जिन्दगी के सफ़र में गुजर जाते हैं जो मकाम - The Indic Lyrics Database

जिन्दगी के सफ़र में गुजर जाते हैं जो मकाम

गीतकार - योगेश | गायक - किशोर कुमार | संगीत - हेमंत कुमार | फ़िल्म - दामाद | वर्ष - 1978

View in Roman

जिन्दगी के सफ़र में गुज़र जाते हैं जो मकाम
वो फिर नहीं आते, वो फिर नहीं आते
फूल खिलते हैं, लोग मिलते हैं मगर
पतझड में जो फूल मुरझा जाते हैं
वो बहारों के आने से खिलते नहीं
कुछ लोग एक रोज जो बिछड़ जाते हैं
वो हजारों के आने से मिलते नहीं
उम्रभर चाहे कोई पुकारा करे उनका नाम
वो फिर नहीं आते ...
आँख धोखा है, क्या भरोसा है, सुनो
दोस्तों शक दोस्ती का दुश्मन है
अपने दिल में इसे घर बनाने ना दो
कल तड़पना पड़े याद में जिनकी
रोक लो, रुठकर उनको जाने ना दो
बाद में प्यार के, चाहे भेजो हजारो सलाम
वो फिर नहीं आते ...
सुबह आती है, रात जाती है, यूँही
वक्त चलता ही रहता है, रुकता नहीं
एक पल में ये आगे निकल जाता है
आदमी ठीक से देख पाता नहीं
और परदे पे मंजर बदल जाता है
एक बार चले जाते हैं, जो दिन रात सुबह शाम
वो फिर नहीं आते ...