गीतकार - प्रेम धवन | गायक - लता - तलत मेहमूद | संगीत - अनिल बिस्वास | फ़िल्म - तराना | वर्ष - 1951
View in Romanसीने में सुलगते हैं अरमान
आँखों में उदासी छाई है
ये आज तेरी दुनिया से हमें
तकदीर कहा ले आई हैं
कुछ आँख में आँसू बाकी हैं
जो मेरे ग़म के साथी हैं
अब दिल है ना दिल के अरमां हैं
बस मैं हूँ मेरी तनहाई है
ना तुझ से गिला कोई हमको
ना कोई शिकायत दुनिया से
दो चार कदम जब मंज़िल थी
किस्मत ने ठोकर खाई है
कुछ ऐसी आग लगी मन में
जीने भी ना दे मरने भी ना दे
चुप हूँ तो कलेजा जलता है
बोलूँ तो तेरी रुसवाई है