शाम ए फिराक अब ना पुच्छ आई और आ के ताल गई - The Indic Lyrics Database

शाम ए फिराक अब ना पुच्छ आई और आ के ताल गई

गीतकार - फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ी | गायक - गुलाम अली | संगीत - गुलाम अली, रफीक हुसैन | फ़िल्म - गैर-फिल्मी | वर्ष - 1994

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शाम-ए-फ़िराक़ अब न पूछ आई और आ के टल गई
दिल था के फिर बहल ग्या जाँ थी के फिर सम्भल गईबज़म-ए-ख़्याल में तेरे हुस्न की शमा जल गई
दर्द का चाँद भुज ग्या हिज्र की रात ढल गईजब तुझे याद कर लिया सुबह महक महक उठी
जब तेरा ग़म जगा लिया रात मचल मचल गैइदिल से तो हर मुआमला कर के चले थे साफ़ हम
कहने में उनके सामने बात बदल बदल गईआख़िर-ए-शब के हम्सफ़र #Fऐज़# न जाने क्या हुए
रह गई किस जगह सबा सुबह किधर निकल गई