शहर की परियों के पीछे जो हैं दिवाने - The Indic Lyrics Database

शहर की परियों के पीछे जो हैं दिवाने

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - साधना सरगम, उदित नारायण | संगीत - जतिन, ललित | फ़िल्म - जो जीता वही सिकंदर | वर्ष - 1992

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शहर की परियों के पीछे जो हैं दीवाने
वो हमारी सादगी का रंग क्या जानें
अरे हाँ आहा आहा दिलदार बेवफ़ा
जो नहीं समझे कि हम हैं जिसके दीवाने
वो हमारी आशिक़ी का रंग क्या जानें
अरे हाँ आहा आहा समझो ना मेरी जांकोई होगा हसीं कम तो हम भी नहीं
देखो ज़रा नज़र भर के
इतना उड़ोओ नहीं हो न ऐसा कहीं
न इधर के रहे न उधर के
शहर की परियों के ...यहां तो बड़े बड़े लुट गए खड़े खड़े
बचके वो भी कहां जाएंगे
सुन के मेरी सदा छोड़ के नाज़-ओ-अदा
कच्चे धागे में बंधे आएंगे
जो नहीं समझे ...