अर्रा रम तर्रा रम दुनिया के कैसे ग़म - The Indic Lyrics Database

अर्रा रम तर्रा रम दुनिया के कैसे ग़म

गीतकार - ज़िया सरहदी | गायक - किशोर | संगीत - सलिल चौधरी | फ़िल्म - आवाज़ | वर्ष - 1956

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अर्रा रम तर्रा रम
अर्रा रम तर्रा रम
दुनिया के कैसे ग़म
कहीं ज्यादा कहीं कम-2

कोई कहे मेरा पिया घर आये ना
किसी का निखट्टू मियां पैसा लाये ना
लाले को ये डर पैसा कोई खाये ना
अर्रे बुड्ढे को फिकर बुड्ढी भाग जाये ना

ज़ख्मी जिगर है
डर है फिकर है
सब गड़बड़ है
निकले है दम होते अल्लाह की कसम
वइ वइ वइ
ज़ख्मी जिगर है
डर है फिकर है
सब गड़बड़ है
निकले है दम होते अल्लाह की कसम
कहीं ज्यादा कहीं कम-2

अर्रा रम तर्रा रम $