सांस आती है जिंदा रहने के ली तेरी कसम - The Indic Lyrics Database

सांस आती है जिंदा रहने के ली तेरी कसम

गीतकार - समीर | गायक - सहगान, फरीद साबरी, अमीन साबरी | संगीत - नदीम, श्रवण | फ़िल्म - सिरफ तुम | वर्ष - 1999

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साँस आती है साँस जाती है
सिर्फ़ मुझको है इन्तज़ार तेरा
आँसुओं की घटाएं पी पी के
अब तो कहता है यही प्यार मेरा
ज़िंदा रहने के लिए तेरी कसम
इक मुलाकात ज़रूरी है सनमतेरी चाहतों ने ये क्या ग़म दिया
तेरे इश्क़ ने यूं दीवाना किया
ज़माने से मुझको बेगाना किया
दीवाने तेरे प्यार में बड़ा ही बुरा हाल है
खड़ी हूं तेरी राह में न होश है न ख्याल है
इक मुलाकात ज़रूरी है सनम
ज़िंदा रहने के लिए ...मेरे साथ में रो रहा आसमां
मेरा प्यार खोया है जाने कहां
उसे ढूँढती मैं यहां से वहां
मिलन की मुझे आस है निकलती नहीं जान है
मैं कितनी मजबूर हूं ये कैसा इम्तहान है
इक मुलाकात ज़रूरी है सनम
ज़िंदा रहने के लिए ...आज मुलाकात ज़रूरी है सनममेरी आँखों में जले तेरे ख्वाबों के दिये
कितनी बेचैन हूँ मैं यार से मिलने के लिए
मेरे बिछड़े दिलबर तू जो इक बार मिले
चैन आ जाए मुझे जो तेरा दीदार मिले
मसीहा मेरे दुआ दे मुझे
करूं अब मैं क्या बता दे मुझे
कोई रास्ता दिखा दे मुझे
मेरे यार से मिला दे मुझे
मेरे दर्द की दवा दे मुझे
आ कहीं ना अब सुकून है
कहीं ना अब करार है
मिलेगा मेर साथिया मुझे तो ऐतबार है
इक मुलाकात ज़रूरी है सनमसाँस आती है ...
ज़िंदा रहने के लिए ...