ये गलियां ये चौबारा - The Indic Lyrics Database

ये गलियां ये चौबारा

गीतकार - संतोष आनंद | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - लक्ष्मीकांत, प्यारेलाल | फ़िल्म - प्रेम रोग | वर्ष - 1982

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ये गलियाँ ये चौबारा
यहाँ आना ना दोबारा
अब हम तो भए परदेसी
के तेरा यहाँ कोई नहीं -२
ले जा रँग-बिरंगी यादें
हँसने-रोने की बुनियादें
अब हम तो भए परदेसी
के तेरा यहाँ कोई नहीं -२मेरे हाथों में भरी-भरी चूड़ियाँ
मुझे भा गईं हरी-हरी चूड़ियाँ
देख मिलती हैं तेरि-मेरी चूड़ियाँ
तेरे जैसी सहेली मेरी चूड़ियाँ
तूने पीसी वो मेहँदी रँग लैइ
मेरी गोरी हथेली रचाई
तेरी आँख क्यूँ लाडो भर आई
तेरे घर भी बजेगी शहनाई
सावन में बादल से कहना
परदेस में है मेरी बहना
अब हम तो भए परदेसी
के तेरा यहाँ कोई नहीं -२आ माँ ए मिल ले गले
चले हम ससुराल चले
तेरे आँगन में अपना
बस बचपन छोड़ चले
कल भी सूरज निकलेगा
कल भी पंछी गाएंगे
सब तुझको दिखाई देंगे
पर हम न नज़र आएंगे
आँचल में संजो लेना हमको
सपनों में बुला लेना हमको
अब हम तो भए परदेसी
के तेरा यहाँ कोई नहीं -२देख तू ना हमें भुलाना
माना दूर हमें है जाना
मेरी अल्हड़ सी अटखेलियाँ
सदा पलकों बीच बसाना
जब बजने लगें बाजे-गाजे
जग लगने लगे खाली-खाली
उस दम तू इतना समझना
मेरी डोली उठी है फूलों वाली
थोड़े दिन के ये नाते थे
कभी हँसते थे गाते थे
अब हम तो भए परदेसी
के तेरा यहाँ कोई नहीं -२ये गलियाँ ये चौबारा
यहाँ आना ना दोबारा
अब हम तो भए परदेसी
के तेरा यहाँ कोई नहीं -२