अरे है हो कैसे ज़ालिम से पड़ गया पाला रे - The Indic Lyrics Database

अरे है हो कैसे ज़ालिम से पड़ गया पाला रे

गीतकार - प्रदीप | गायक - मुकेश | संगीत - मन्ना डे | फ़िल्म - चमकी | वर्ष - 1952

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अरे है
हो कैसे ज़ालिम से पड़ गया पाला रे
बिना मौत मुझे मार डाला रे
हाय रे बिना मौत मुझे मार डाला रे

खड़े खिड़की में हैं बड़ी शान से
बातें करते हैं वह आसमान से
किस अदा से दुपट्टा संभाला रे
हाय मेरे दिल पे चलाते हैं भाला रे
बिना मौत मुझे ...

बड़े ख़ामोश हैं आजकल वह
देखो कितने गए हैं बदल वह
ऐजी देखो कितने गए हैं बदल वह
झुकी नज़रें लबों पर है ताला रे
बिना मौत मुझे ...

हम भी आदमी कभी थे बड़े काम के
मेरा इश्क़ ने निअकाला दीवाला रे
अजी देखो कैसे हुआ ये घुटाला रे
बिना मौत मुझे ...$