अरे भई निकल के आ घर से - The Indic Lyrics Database

अरे भई निकल के आ घर से

गीतकार - शैलेंद्र | गायक - किशोर | संगीत - शंकर-जयकिशन | फ़िल्म - नई दिल्ली / नई दिल्ली | वर्ष - 1956

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अरे भई निकल के आ घर से! (2)
एऽ एऽ एऽ

अरे भई निकल के आ घर से, आ घर से (2)
दुनिया की रौनक देख फिर से देख ले फिर से (2)
होय्! अरे भई निकल के आ घर से, आ घर से

केम ऊँघेचे भई घनश्याम जी, ओ (2)
ओऽ
दुनिया बदल गयी प्यारे, आगे निकल गयी प्यारे (2)
अन्धे कुँए में घुस के क्यों बैठा हुआ है मन मारे (2)
अरे भई निकल के आ घर से ...

तुला भीती ही कसली वाट ते, रे (2)
ओऽ
पानी को, तेल को छोड़ा, बिजली की रेल को छोड़ा (2)
कल चाँद और तारों में पहुँचेगा ऐटमी घोड़ा
अरे भई, अरे भई
अरे भई निकल के आ घर से ...

कैनो भाबेन ओकारन ऐ बंकी बाबू, रे (2)
ओऽ
कल जो था कल रहा होगा, आगे की सोच क्या होगा (2)
टूटी पुरानी ढफली पे, तू कल कमर दिया मलेगा? (2)
अरे भई निकल के आ घर से ...$