मेरे नग़्मों में धुन - The Indic Lyrics Database

मेरे नग़्मों में धुन

गीतकार - साहिर | गायक - तलत महमूद | संगीत - श्यामसुंदर | फ़िल्म - अलिफ़ लैला | वर्ष - 1953

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मेरे नग़्मों में धुन मस्ताना आँखों की कहानी है
मुहब्बत ही मुहब्बत है जवानी ही जवानी है
किसीके नाज़नीं जलवे मेरी दुनिया पे छाए हैं
वो मेरी आरज़ू बन कर मेरे दिल में समाए हैं
मुझे अब उनके दिल में आरज़ू अपनी जगानी है
मुहब्बत मेरी दुनिया है मुहब्बत शायरी मेरी
मुहब्बत मेरा नग़्मा है मुहब्बत ज़िंदगी मेरी
मुहब्बत के सहारे इक नई दुनिया बसानी है
चला हूँ लेके उस महफ़िल में अपने दिल का नज़राना
मेरी हस्ती है उनके प्यार का रंगीन अफ़्साना
निगाहें चार करके आज क़िस्मत आज़्मानी है