कह रहीं हैं धड़कानें पुकार करो - The Indic Lyrics Database

कह रहीं हैं धड़कानें पुकार करो

गीतकार - असद भोपाली | गायक - गीता दत्त | संगीत - हंसराज बहल | फ़िल्म - लाल परि | वर्ष - 1954

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ग़: कह रहीं हैं धड़कनें पुकार कर
चुपके चुपके धीरे धीरे प्यार कर
ट: तुम को पाया अपने दिल को हार कर
छुप न जाना ज़िंदगी सँवार करग़: हसीन रात जग उठी मचल रही है चांदनी -२
चमन चमन बहार है मेरे सनम
निगाहों में ख़ुमार है मेरे सनम
सद्क़े तेरे दिल के मेरे ऐसि नींद से न होशियार कर
चुपके चुपके धीरे धीरे प्यार कर
कह रहीं हैं धड़कनें पुकार कर
चुपके चुपके धीरे धीरे प्यार करट: भुला भी दे ख़ताओं को हँसा भी दे फ़िज़ाओं को-२
नहीं है बस में दिल मेरा ओ नाज़नीं
करेएब आ नज़र मिल ओ नाज़नीं
तु जो कहे ला दूँ अभी आसमाँ से चाँद को उतार कर
छुप न जाना ज़िंदगी सँवार करग़: कह रहीं हैं धड़कनें पुकार कर
चुपके चुपके धीरे धीरे प्यार कर