उड़ने दे - The Indic Lyrics Database

उड़ने दे

गीतकार - नीति मोहन, ब्रिज मोहन, मनोज यादव | गायक - नीति मोहन | संगीत - नीति मोहन | फ़िल्म - एलबम | वर्ष - 2015

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>डर लगता है.. बुरी नज़रों से
डर लगता है.. बुरी ख़बरों से
डर लगता है.. चुप रहने से
डर लगता है.. अपने गुस्से से

हट जा.. जीने दे.. हक़ है.. उड़ने दे..

डर लगता है.. बुरी नज़रों से
डर लगता है.. बुरी ख़बरों से
डर लगता है.. चुप रहने से
डर लगता है.. अपने गुस्से से

हट जा.. जीने दे.. हक़ है.. उड़ने दे..

कब बदलेगा, कब बदलेगा
तू कब बदलेगा ??
जब रब के आगे जाएगा
क्या तब बदलेगा ??

अब गलती की कोई वज़ह नहीं
अब बेशरमी की कोई जगह नहीं

क्या कारण तू पाप करता है
क्या कारण जो शैतान जागता है
क्या कारण बदल तू नहीं पाता है
क्या कारण जो हैवान बन जाता है

हट जा.. जीने दे.. हक़ है.. उड़ने दे..

बन जा इंसान बन जा तू
सब ग़लतियां मिटा दे तू
दफना दो वो तास्ते
जिस पर मंज़िल जल जायेगी
मर्द नहीं इंसान बनो
फ़र्ज़ बनो ईमान बनो
धरती स्वर्ग बन जायेगी
धरती स्वर्ग बन जायेगी

हट जा.. जीने दे.. हक़ है.. उड़ने दे..

उम्मीदों से उम्मीद नहीं
तकदीरों से कोई टीस नहीं
अस्तित्व मेरा जग जीतेगा
सम्मान मेरा अपना हक़ छीनेगा
है यक़ीन मुझसे बदलेगा
हाँ जुनून मेरा मुझे पंख देगा

हट जा.. जीने दे.. हक़ है.. उड़ने दे…