कारी बदरीयाँ, मारे लहरीयाँ, मोरा जियरा उडा जाए रे - The Indic Lyrics Database

कारी बदरीयाँ, मारे लहरीयाँ, मोरा जियरा उडा जाए रे

गीतकार - शकील बदायुँनी | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - नौशाद | फ़िल्म - आदमी | वर्ष - 1968

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कारी बदरियां, मारे लहरियां, मोरा जियरा उड़ा जाए रे
धीरे से चल अरी बैरी पवन मोरा गोरा बदन खुला जाए रे
भीगा भीगा मौसम ये दिन अलबेले
जिया नहीं लागे सावन में अकेले
पी की पुकार करे पापी पपीहा
मोरे दिल को बेदर्दी जलाए रे
कली कली भँवरा जो डोलन लागे
मीठी मीठी पीड़ा करजवा में जागे
मनवा को थाम यही सोचू मैं राम
कोई मोरी नगरीयां बसाए रे
पिया बिन फीकी ये सजधज मोरी
इत उत भटके जवानी निगोड़ी
चढ़ती उमर लिए जाए उधर
जहाँ रातों को निंदिया न आए रे