ज़रदोज़ी लम्हें ओढ़ के दिल - The Indic Lyrics Database

ज़रदोज़ी लम्हें ओढ़ के दिल

गीतकार - नक्श लायलपुरी | गायक - Nil | संगीत - जयदेव | फ़िल्म - वही बात | वर्ष - 1977

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ज़रदोज़ी लम्हें ओढ़ के दिल
ग़म सारे पीछे छोड़ के दिल
बहने दे हवाओं में जो बहना चाहता है
कहने दे सुरूर में जो कहना चाहता है
नया नहीं लेकिन नया लगे ये दिन...
कोई कच्ची उम्र का दिल में जो मलाल था
आज कहीं वो खो गया
ख़ुशी और ज़िन्दगी दोनों एक हो गई
टूटा हो जैसे दायरा...
जलने दे जो लौ दिलों की जलना चाहती है
चलने दे यूँ नींद में वो चलना चाहती है..
नया नहीं लेकिन नया लगे ये दिन...
आँखों की मुंडेर से दिल के आसमान तक
कोई नहीं है तीसरा
ख्वाबों की वादियां, ख्वाबों के मोड़ हैं
ख्वाबों की हैं आबो हवा
खोने दे यूँ ख़्वाब में जो खोना चाहता है
होने दे धुँआ-धुँआ जो होना चाहता है..
नया नहीं लेकिन नया लगे ये दिन...
खाली हो गया है दिल भर गई है धडकनें
साजिश है या है ये सज़ा
चाल तेज़ थी मगर पीछे रह गए क़दम
आख़िर है क्या ये माजरा
ठगने दे यूँ ज़िन्दगी जो ठगना चाहती है
लगने दे जो चोट दिल पे लगना चाहती है ..
नया नहीं लेकिन नया लगे ये दिन...