हमदम मेरे मान भी जाओ - The Indic Lyrics Database

हमदम मेरे मान भी जाओ

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - ओ. पी. नय्यर | फ़िल्म - मेरे सनम | वर्ष - 1965

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हमदम मेरे मान भी जाओ, कहना मेरे प्यार का
हलका हलका, सुर्ख लबों पे, रंग तो है इकरार का
प्यार मोहब्बत की हवा पहले चलती है
फिर एक लट इन्कार की रुख़ पे ढलती है
ये सच है कम से कम तो ऐ मेरे सनम
लटें चेहरे से सरकाओ, तमन्ना आँखे मलती है
तुम से मिल मिल के सबा दुनिया महकाये
बादल ने चोरी किये आँचल के साये
ये सच है कम से कम तो ऐ मेरे सनम
चुरा लूँ मैं भी दो जलवे, मेरा अरमां भी रह जाये