अपनी तसवीर से कह दो हमें देखा न करे - The Indic Lyrics Database

अपनी तसवीर से कह दो हमें देखा न करे

गीतकार - अजीज कश्मीरी | गायक - रफ़ी, आशा | संगीत - विनोद | फ़िल्म - सब्ज़ बाघ | वर्ष - 1951

View in Roman

अपनी तसवीर से कह दो हमें देखा न करे
अपनी तसवीर से कह दो हमें देखा न करे

अश: हम तमाशा नहीं
हम तमाशा नहीं हम से ये तमाशा न करे
रफ़ि: अपनी तसवीर से कह दो हमें देखा न करे

रफ़ि: देखने वालों से होऽऽ
देखने वालों से कहती है कि हम मरते हैं
देखने वालों से कहती है कि हम मरते हैं
पयार करना है, अजी हाँ
पयार करना है तो फिर पयार का चरचा न करे
अश: हम तमाशा नहीं
हम तमाशा नहीं हम से ये तमाशा न करे
रफ़ि: अपनी तसवीर से कह दो हमें देखा न करे

अश: साथ जाती है नज़र इस की जिधर जाते हैं
साथ जाती है नज़र होऽऽ
साथ जाती है नज़र इस की जिधर जाते हैं
साथ जाती है नज़र इस की जिधर जाते हैं
तिर्छी नज़रों से, अजी हाँ
तिर्छी नज़रों से हमें देख के छेड़ा न करे
रफ़ि: हम तमाशा नहीं
हम तमाशा नहीं हम से ये तमाशा न करे
अपनी तसवीर से कह दो हमें देखा न करे

रफ़ि: जाते जाते कभी होऽऽ
जाते जाते कभी देखें तो हमें कहती है
जाते जाते कभी देखें तो हमें कहती है
बिन बुलाए कोई, अजी हाँ
बिन बुलाए कोई आँखों में समाया न करे
अश: हम तमाशा नहीं
हम तमाशा नहीं हम से ये तमाशा न करे

बोथ: अपनी तसवीर से कह दो हमें देखा न करे$