अपनी नज़र से उनकी नज़र तक एक ज़माना एक फ़साना - The Indic Lyrics Database

अपनी नज़र से उनकी नज़र तक एक ज़माना एक फ़साना

गीतकार - उद्धव कुमार | गायक - मुकेश | संगीत - रोशन | फ़िल्म - हम लोग | वर्ष - 1951

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अपनी नज़र से उनकी नज़र तक एक ज़माना एक फ़साना
कितने हो आप जैसे ऐसे ज़माने में अपने दिल का कौन ठिकाना

उनकी जफ़ा में मीठी वफ़ा है
ज़हर है लेकिन कितना मज़ा है
मरने के होते हैं लाखों बहाने
जीने का है बस एक बहाना
अपनी नज़र से ...

दूर ही दूर से दिल में समाये
यूँ नहीं आते तो सपनों में आये
काम है उनका पास न आना
काम हमारा प्रीत निभाना
अपनी नज़र से ...

दिल जो लिया है दर्द ही देंगे
इस के सिवा वो कुछ न करेंगे
होता है दिल तो होने दो इस को
तीर-ए-नज़र का यूँ ही निशाना
अपनी नज़र से ...$