अपनी नाकामी से मुझ को काम है - The Indic Lyrics Database

अपनी नाकामी से मुझ को काम है

गीतकार - नूर लखनवी | गायक - तलत | संगीत - सी रामचंद्र | फ़िल्म - सुबह का तारा | वर्ष - 1954

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अपनी नाकामी से मुझ को काम है
हो उन्हें राहत हमें आराम है

दिल हमारा और नहीं कुछ इख़्तियार
हाय मजबूरी इसी का नाम है

दिल की उल्झन में पता चलता नहीं
हम कहाँ हैं सुबह है या शाम है

हम तड़पते हैं नहीं उन को ख़बर
क्या मुहब्बत का यही अंजाम है$