अपनी बाँहों पर है तुझको क्यूँ इतना अभिमान - The Indic Lyrics Database

अपनी बाँहों पर है तुझको क्यूँ इतना अभिमान

गीतकार - इन्दीवर | गायक - रफी | संगीत - चित्रगुप्त | फ़िल्म - माया बाजार | वर्ष - 1958

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अपनी बाँहों पर है तुझको क्यूँ इतना अभिमान
तेरे जैसे लाखों देखे बड़े बड़े बलवान
कुछ भी नहीं है तेरा मोल
बोलो ना बड़े बोल
खिलौना तू माटी का

गरज रहा है बरस रहा है ज़िद तूने किस बात पर बाँधी
क्यूँ है पागल मूरख बादल तुझको उड़ा ले जाएगी आँधी
सेर को मिलते सवा सेर लगे ना यहाँ देर
खिलौना तू माटी का ...

इतना क्यों इतराता है हँसती है जब भाग्य की रेखा
तू छोटा सा दीपक है रे तूने कभी सूरज भी है देखा
झूठे नशे में तू चूर टूटेगा ये ग़रूर
खिलौना तू माटी का ...$