अपने ख़यालों को समझा दीजिये - The Indic Lyrics Database

अपने ख़यालों को समझा दीजिये

गीतकार - साहिर | गायक - लता | संगीत - एन दत्ता | फ़िल्म - मरीन ड्राइव | वर्ष - 1955

View in Roman

अपने ख़यालों को समझा दीजिये
क्यों रातों को नींद चुराने आते हैं

आधी-आधी रात तलक हम तारे गिनते रहते हैं
आप हमें सपनों में आकर ऐसी बातें करते हैं
जिनको सुनते ही दिल के अरमाँ
शर्मीली दुल्हन की तरह शर्माते हैं

देखो जी अनजान घरों में यूँ बस जाना ठीक नहीं
किसी के दिल में चोरी-चोरी प्यार जगाना ठीक नहीं
आँखों-आँखों में जादू करके हो
आप हमीं से हमको छीने जाते हैं$