जीने का दिन मर जाने का मौसम - The Indic Lyrics Database

जीने का दिन मर जाने का मौसम

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - लता मंगेशकर, किशोर कुमार | संगीत - आर डी बर्मन | फ़िल्म - गोमती के किनारे | वर्ष - 1972

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कि:
जीने का दिन मर जाने का मौसम है इन नज़ारों में
इस दिल का क्या हाल करुँ ऐसी बहारों मेंल:
जीने का दिन मर जाने का मौसम है इन नज़ारों में
मैं अपना क्या हाल करूँ कह दो इशारों मेंकि:
छूने से मेरे सुर्ख़ लबों की कलियाँ निखरीं जैसे सुलकें
ल:
आज तलक दिल में जो दबे थे अरमाँ कह दो सजना खुलके
ला ला ला ...
चुपके से क्यों बात चले चाहत के मारों में
जीने का दिन मर जाने का मौसम ...ल:
आज मुझे देखें ये नज़ारे जैसे मैं हूँ सुंदर सपना
कि:
आज तो ये गुलज़ार ये गुल ये शाख़ें रोकें चाहे जितना
ला ला ला ...
चूम ही लेगी मेरी नज़र तुमको हज़ारों में
जीने का दिन मर जाने का मौसम ...कि:
तुम हो लगी सीने से तो दिल की धड़कन ठहरी ठहरी जाए
ल:
डूब चली बाहों में तुम्हारी साजन तुम्हरे साये साये
ला ला ला ...
जैसे सूरज अम्बर के नीले किनारों में
जीने का दिन मर जाने का मौसम ...