बहारों ने जिसे छेड़ा है वो साज ए जवानी है - The Indic Lyrics Database

बहारों ने जिसे छेड़ा है वो साज ए जवानी है

गीतकार - शेवन रिज़वी | गायक - मुकेश | संगीत - ज्ञान दत्त | फ़िल्म - सुनहरे दिन | वर्ष - 1949

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बहारों ने जिसे छेड़ा है वो साज-ए-जवानी है
ज़माना सुन रहा है जिसको वो मेरी कहानी है
बहारों ने जिसे छेड़ा ...क़सम खा कर किसी को जब अपना बनाऊँगा
चमन की डालियों से लालियाँ फूलों की लाऊँगा
सितारों के चिराग़ों से फिर इस घर को सजाऊँगा
कि इस दुनिया में मुझको इक नई दुनिया बसानी है
बहारों ने जिसे छेड़ा ...चमन में सबने ही गाया तराना ज़िन्दगानी का
मगर सबसे अलग था रंग मेरी ही कहानी का
फ़साना इस क़दर रंगीन था मेरी जवानी का
कि जिसने भी सुना कहने लगा मेरी कहानी है
बहारों ने जिसे छेड़ा ...कोई समझे ना समझे मैं कहे देता हूँ दुनिया से
कि मैं दुनिया में हूँ मतलब नहीं रखता हूँ दुनिया से
कभी कुछ दिल में आता है तो कह देता हूँ दुनिया से
मेरी आवाज़ ही मेरी तमन्ना की निशानी है
बहारों ने जिसे छेड़ा ...